1.मम्मी,
परीलोक की कथा-कहानी
हँसकर मुझे सुनातीं मम्मी,
फूलों वाले, तितली वाले
गाने मुझे सिखातीं मम्मी।
खीर बने या गरम पकौड़े
पहले मुझे खिलातीं मम्मी,
होमवर्क पूरा कर लूँ तो-
टॉफी-केक दिलातीं मम्मी।
काम अगर मैं रहूँ टालता
तब थोड़ा झल्लातीं मम्मी,
झटपट झूठ पकड़ लेती हैं
मन-ही-मन मुसकातीं मम्मी।
रूठूँ तो बस बात बनाकर
पल में मुझे मनातीं मम्मी,
बड़ा लाड़ला तू तो मेरा-
कहकर मुझे रिझातीं मम्मी।
2.सुबह
ठंडी-ठंडी हवा चली है
खुशबू बिखरी गली-गली है,
लगता जैसे प्याला भर-भर
पिला रही सबको ठंडाई।
सुबह हुई है, जागो भाई!
मंदिर में पूजा की घंटी
पुस्तक लेकर बैठा बंटी,
‘दूध-दूध’ की सुनी पुकार
बरतन लेकर दौड़ीं ताई!
सुबह हुई है, जागो भाई!
होमवर्क छुटकू का होना
छुटकी का भी रोना-धोना,
दादा जी छज्जे से बोले-
चाय अभी तक नहीं बनाई!
सुबह हुई है, जागो भाई!
इतने में आया अखबार
लेकर खबरों का संसार,
पापा बोले-बुरी खबर है
पर जीतेगी सदा भलाई!
सुबह हुई है, जागो भाई!
जल्दी उठकर जरा नहा लो
मल-मल सारी मैल बहा लो,
जो लिहाफ ओढ़े सोते हैं
आएगी कल उन्हें रुलाई!
सुबह हुई है, जागो भाई!
3. निंदिया
चुपके-चुपके आती निंदिया,
गाकर मुझे सुलाती निंदिया।
अंधकार जब छाने लगता,
हलके कदम बढ़ाती निंदिया।
माथे पर चंदा की बिंदिया,
खड़ी दूर मुसकाती निंदिया।
परियों वाली एक कहानी,
रोज उसे दोहराती निंदिया।
खूब दिखाती बाग-बगीचे,
जब सपना बन जाती निंदिया।
थपकी देकर मुझे सुनाती,
हँस-हँस लोरी गाती निंदिया।
रोज नए सपने लाती है,
इसीलिए इठलाती निंदिया।
सूरज निकला, बस, पल भर में-
छू-मंतर हो जाती निंदिया।
करती खूब कमाल, पतंग!
उछल-उछलकर ऊपर जाती
आसमान में गोते खाती,
जादू के
करतब दिखलाती-
ले हिरना की चाल, पतंग!
इंद्रधनुष माथे पर टाँके
भरती है यह खूब कुलाँचें,
धरती से
अंबर तक छाया
सपनों का है जाल, पतंग।
वैसे तो एक पन्नी सस्ती
मामूली है इसकी हस्ती,
तेज हवा में
तन जाती पर
जैसे कोई ढाल, पतंग।
जब कोई दुश्मन आ जाए
आकर के इससे टकराए,
खूब पैंतरे
दिखलाती तब
बन जाती है काल, पतंग।
मौसम की यह मस्त ठिठोली, होली आई रे,
निकल पड़ी बच्चों की टोली, होली आई रे!
लाल, हरे गुब्बारों जैसी शक्लें तो देखो-
लंगूरों ने धूम मचाई, होली आई रे!
मस्ती से हम झूम रहे हैं, होली आई रे!
गली-गली में घूम रहे हैं, होली आई रे!
छूट न जाए कोई भाई, होली आई रे!
कह दो सबसे-होली आई, होली आई रे!
मत बैठो जी, घर के अंदर, होली आई रे!
रंग-अबीर उड़ाओ भर-भर, होली आई रे!
जी भरकर गुलाल बरसाओ, होली आई रे!
इंद्रधनुष भू पर लहराओ, होली आई रे!
फिर गुझियों पर डालो डाका, होली आई रे!
हँसतीं काकी, हँसते काका- होली आई रे!
अंग्रेज का अत्याचार
मचा रहा था हाहाकार,
तब आए थे सबसे आगे
लेकर मधुर प्रेम के धागे।
नया जोश, बनकर लहराई-
राम कहानी बापू की!
सुनो कहानी बापू की!
दुश्मन का भी सिर झुकता था
अन्यायी सचमुच डरता था,
बापू जब बोला करते थे
झर-झर-झर झरने झरते थे।
दुखियों को मरहम लगती थी
मीठी बानी बापू की।
सुनो कहानी बापू की!
जब तक है यह चरखा-खादी
हरी-भरी है जब तक वादी,
जब तक नीला आसमान है
हँसता-गाता यह जहान है।
मिट न सकी है, मिट न सकेगी
अमर निशानी बापू की!
सुनो कहानी बापू की!
लाल चोंच में कैसा फबता
हरदम लगता हँसता-हँसता।
मम्मी इसको दूँ अमरूद
या खा लेगा यह तरबूज?
जरा बताओ, कैसे पकडू़ँ
जी करता, पिंजरे में रख लूँ।
अरे, उड़ा यह फर-फर, फर-फर,
छू ही लेगा जैसे अंबर,
सुन ली चुपके मेरी बात?
दे दी इसने मुझको मात!
चुपके-चुपके हमें बुलाते
कभी बादलों में छिप जाते,
कैसे हैं ये नन्हे मोती
कैसे ये हरदम मुसकाते?
रोज दिवाली आसमान में
तारों का है बंदनवार!
अंधकार हो चाहे जितना
नहीं कभी घबराते हैं ये,
रात-रात भर जाग-जागकर
सबको राह दिखाते हैं ये।
हँस-हँस सबको बाँ रहे हैं-
उजली किरणों का उपहार!
टिम-टिम कर ये क्या कहते हैं
मम्मी, मैं तो समझ न पाता,
आसमान की कक्षा में क्या
चंदा मामा इन्हें पढ़ाता?
नहीं कभी छुट्टी मिलती क्या-
कभी नहीं प्यारा इतवार?
तेज फुहारों में इठलाएँ
जी भर भीगें, खूब नहाएँ,
पानी में फिर नाव चलाएँ-
आया शैतानी का मौसम!
ठंडी-ठंडी चली हवाएँ
छेड़ें किस्से, मधुर कथाएँ,
कानों में रस घोल रहा है-
कथा-कहानी का मौसम!
अंबर ने धरती को सींचा
हरी घास का बिछा गलीचा,
कुहू-कुहू के संग आ पहुँचा-
कोयल रानी का मौसम!
जामुन, आम, पपीते मीठे
खरबूजे लाया मिसरी से,
गरम पकौड़े, चाय-समोसे-
संग-संग गुड़धानी का मौसम!
छतरी लेकर सैर करें अब
मन में फिर से जोश भरें अब,
लहर-लहर लहरों से खेलें-
आया मनमानी का मौसम!
आफत मेरी घड़ी है!
दीवार पर टँगी है
या मेज पर खड़ी है,
हाथों में बँध गई तो
सचमुच यह हथकड़ी है!
आफत मेरी घड़ी है!
सुबह-सुबह सबका
लिहाफ खींच लेती,
शालू पे गुस्सा आता
गर आँख मीच लेती।
कहना जरा न माने,
ऐसी ये सिरचढ़ी है!
आफत मेरी घड़ी है!
तैयार होकर जल्दी
स्कूल दौड़ जाओ,
शाम को घर आकर
थोड़ा सा सुस्ताओ।
फिर पढ़ने को बिठाती,
ये वक्त की छड़ी है!
आफत मेरी घड़ी है!
खेल रहे क्यों पानी में,
पड़ जाना
बीमार कहीं मत
वर्षा की मनमानी में।
मेढक मामा
मेढक मामा,
नभ में बादल छाए हैं,
इसीलिए क्या
टर्र-टर्र के
स्वागत-गीत सुनाए हैं।
मेढक मामा,
उछलो-कूदो
बड़े गजब की चाल है,
हँसते-हँसते
मछली जी का
हाल हुआ बेहाल है!
मेढक मामा,
सच बतलाओ,
कब तक बोंबे जाओगे,
बढ़िया
रेनी कोट सिलाओ,
फिर हीरो बन जाओगे!
लगता जैसे आफत आई
यह कैसी दीवाली है!
बजे पटाखे धायँ-धायँ-धाँ
या गोले हैं तोप के,
काँप रहीं घर की दीवारें
यह कैसी दीवाली है!
ठायँ-ठायँ-ठाँ, ठायँ-ठायँ-ठुस
जेसे दो फौजें लड़ती हैं,
ऐसे युद्ध ठना है भाई-
यह कैसी दीवाली है!
आसमान सब धुआँ-धुआँ-सा
धरती पर गंधक के भभके,
कानों के परदे फटते हैं-
यह कैसी दीवाली है!
पल भर चैन नहीं है भाई
नहीं कहीं अब दिल की बातें,
चारों ओर मची आँधी है,
यह कैसी दीवाली है!
नहीं अँधेरा धरती पर हो
काली रात नहीं रह पाए,
अगर चाहते तुम, तो सोचो-
यह कैसी दीवाली है!
बैठा तू छत की मुँडेर पर
देख रहा क्या लचक-लचककर,
बोल जरा, मैं भी तो सुन लूँ
गीत तेरा अनमोल, कबूतर!
तूने सिखलाया है गाना
मुक्त हवा में उड़े जाना,
तुझसे हमने सीख लिया है
आजादी का मोल, कबूतर!
जा, उस डाली पर भी कहना
प्यारे भाई, मिल-जुल रहना,
मस्ती से गर्दन लहराकर-
पंख सजीले तोल, कबूतर!
परीलोक की कथा-कहानी
हँसकर मुझे सुनातीं मम्मी,
फूलों वाले, तितली वाले
गाने मुझे सिखातीं मम्मी।
खीर बने या गरम पकौड़े
पहले मुझे खिलातीं मम्मी,
होमवर्क पूरा कर लूँ तो-
टॉफी-केक दिलातीं मम्मी।
काम अगर मैं रहूँ टालता
तब थोड़ा झल्लातीं मम्मी,
झटपट झूठ पकड़ लेती हैं
मन-ही-मन मुसकातीं मम्मी।
रूठूँ तो बस बात बनाकर
पल में मुझे मनातीं मम्मी,
बड़ा लाड़ला तू तो मेरा-
कहकर मुझे रिझातीं मम्मी।
2.सुबह
ठंडी-ठंडी हवा चली है
खुशबू बिखरी गली-गली है,
लगता जैसे प्याला भर-भर
पिला रही सबको ठंडाई।
सुबह हुई है, जागो भाई!
मंदिर में पूजा की घंटी
पुस्तक लेकर बैठा बंटी,
‘दूध-दूध’ की सुनी पुकार
बरतन लेकर दौड़ीं ताई!
सुबह हुई है, जागो भाई!
होमवर्क छुटकू का होना
छुटकी का भी रोना-धोना,
दादा जी छज्जे से बोले-
चाय अभी तक नहीं बनाई!
सुबह हुई है, जागो भाई!
इतने में आया अखबार
लेकर खबरों का संसार,
पापा बोले-बुरी खबर है
पर जीतेगी सदा भलाई!
सुबह हुई है, जागो भाई!
जल्दी उठकर जरा नहा लो
मल-मल सारी मैल बहा लो,
जो लिहाफ ओढ़े सोते हैं
आएगी कल उन्हें रुलाई!
सुबह हुई है, जागो भाई!
3. निंदिया
चुपके-चुपके आती निंदिया,
गाकर मुझे सुलाती निंदिया।
अंधकार जब छाने लगता,
हलके कदम बढ़ाती निंदिया।
माथे पर चंदा की बिंदिया,
खड़ी दूर मुसकाती निंदिया।
परियों वाली एक कहानी,
रोज उसे दोहराती निंदिया।
खूब दिखाती बाग-बगीचे,
जब सपना बन जाती निंदिया।
थपकी देकर मुझे सुनाती,
हँस-हँस लोरी गाती निंदिया।
रोज नए सपने लाती है,
इसीलिए इठलाती निंदिया।
सूरज निकला, बस, पल भर में-
छू-मंतर हो जाती निंदिया।
4. पतंग
नीली, पीली
लाल पतंग,करती खूब कमाल, पतंग!
उछल-उछलकर ऊपर जाती
आसमान में गोते खाती,
जादू के
करतब दिखलाती-
ले हिरना की चाल, पतंग!
इंद्रधनुष माथे पर टाँके
भरती है यह खूब कुलाँचें,
धरती से
अंबर तक छाया
सपनों का है जाल, पतंग।
वैसे तो एक पन्नी सस्ती
मामूली है इसकी हस्ती,
तेज हवा में
तन जाती पर
जैसे कोई ढाल, पतंग।
जब कोई दुश्मन आ जाए
आकर के इससे टकराए,
खूब पैंतरे
दिखलाती तब
बन जाती है काल, पतंग।
5.कंप्यूटर
क्या होता कंप्यूटर पापा,
क्या होता कंप्यूटर जी?
यह डिब्बा है जादू वाला
जिसमें जादूगरी भरी है,
बिना पंख के जो उड़ती है
कंप्यूटर एक सोनपरी है।
कोई ना जिसको कर पाए,
उसको करता कंप्यूटर जी!
कंप्यूटर पर चित्र बनाओ
मनमर्जी के रंग लगाओ,
चाहो तो सब उलट-पुलटकर
अपनी दुनिया नई बसाओ।
सबको खूब हँसता रहता,
पढ़ा-लिखा यह जोकर जी!
हार्डवेयर इसका शरीर है
सॉफ्टवेयर इसका दिल है,
धरती पर रहता है लेकिन
आसमान इसकी मंजिल है।
कहता-मेरे संग-संग उड़ लो,
खा लो थोड़ा चक्कर जी!
क्या होता कंप्यूटर जी?
यह डिब्बा है जादू वाला
जिसमें जादूगरी भरी है,
बिना पंख के जो उड़ती है
कंप्यूटर एक सोनपरी है।
कोई ना जिसको कर पाए,
उसको करता कंप्यूटर जी!
कंप्यूटर पर चित्र बनाओ
मनमर्जी के रंग लगाओ,
चाहो तो सब उलट-पुलटकर
अपनी दुनिया नई बसाओ।
सबको खूब हँसता रहता,
पढ़ा-लिखा यह जोकर जी!
हार्डवेयर इसका शरीर है
सॉफ्टवेयर इसका दिल है,
धरती पर रहता है लेकिन
आसमान इसकी मंजिल है।
कहता-मेरे संग-संग उड़ लो,
खा लो थोड़ा चक्कर जी!
6.चिड़िया
मुझको तो अच्छी लगती है,
हरे लॉन पर गाती चिड़िया।
चहक-चहककर जब गाती है
पंख खोलकर उड़ जाती है,
तब लगता है आसमान को
धरती पर ले आती चिड़िया!
पता नहीं, यह कब सोती है
सारी रात कहाँ होती है,
बड़े सवेरे जग जाती है
मुझको रोज जगाती चिड़िया
जब मैं खूब प्यार से हँसता
इससे मन की बातें कहता,
मम्मी, मुझको तब लगता है,
धीरे-से मुसकाती चिड़िया!
हरे लॉन पर गाती चिड़िया।
चहक-चहककर जब गाती है
पंख खोलकर उड़ जाती है,
तब लगता है आसमान को
धरती पर ले आती चिड़िया!
पता नहीं, यह कब सोती है
सारी रात कहाँ होती है,
बड़े सवेरे जग जाती है
मुझको रोज जगाती चिड़िया
जब मैं खूब प्यार से हँसता
इससे मन की बातें कहता,
मम्मी, मुझको तब लगता है,
धीरे-से मुसकाती चिड़िया!
7.होली आई रे,
फिर रंगों का धूम-धड़क्का, होली आई रे,
बोलीं काकी, बोले कक्का-होली आई रे!मौसम की यह मस्त ठिठोली, होली आई रे,
निकल पड़ी बच्चों की टोली, होली आई रे!
लाल, हरे गुब्बारों जैसी शक्लें तो देखो-
लंगूरों ने धूम मचाई, होली आई रे!
मस्ती से हम झूम रहे हैं, होली आई रे!
गली-गली में घूम रहे हैं, होली आई रे!
छूट न जाए कोई भाई, होली आई रे!
कह दो सबसे-होली आई, होली आई रे!
मत बैठो जी, घर के अंदर, होली आई रे!
रंग-अबीर उड़ाओ भर-भर, होली आई रे!
जी भरकर गुलाल बरसाओ, होली आई रे!
इंद्रधनुष भू पर लहराओ, होली आई रे!
फिर गुझियों पर डालो डाका, होली आई रे!
हँसतीं काकी, हँसते काका- होली आई रे!
8.सुनो कहानी बापू की!
अंग्रेज का अत्याचार
मचा रहा था हाहाकार,
तब आए थे सबसे आगे
लेकर मधुर प्रेम के धागे।
नया जोश, बनकर लहराई-
राम कहानी बापू की!
सुनो कहानी बापू की!
दुश्मन का भी सिर झुकता था
अन्यायी सचमुच डरता था,
बापू जब बोला करते थे
झर-झर-झर झरने झरते थे।
दुखियों को मरहम लगती थी
मीठी बानी बापू की।
सुनो कहानी बापू की!
जब तक है यह चरखा-खादी
हरी-भरी है जब तक वादी,
जब तक नीला आसमान है
हँसता-गाता यह जहान है।
मिट न सकी है, मिट न सकेगी
अमर निशानी बापू की!
सुनो कहानी बापू की!
9.तोता
हरी उड़ानों वाला तोता
लो, आया हरियाला तोता,लाल चोंच में कैसा फबता
हरदम लगता हँसता-हँसता।
मम्मी इसको दूँ अमरूद
या खा लेगा यह तरबूज?
जरा बताओ, कैसे पकडू़ँ
जी करता, पिंजरे में रख लूँ।
अरे, उड़ा यह फर-फर, फर-फर,
छू ही लेगा जैसे अंबर,
सुन ली चुपके मेरी बात?
दे दी इसने मुझको मात!
10.सबसे प्यारा देश हमारा
सबसे सुंदर, सबसे प्यारा
देश हमारा सपना है,
सोना बरसाते सूरज-सा
इसको उज्ज्वल रखना है।
गली-गली में गूँजा करते
हैं मेहनत के गीत यहाँ,
खूशबू फैली अमन-चमन में
खुशबू का संगीत यहाँ।
हिल-मिल रहते हम-तुम, तुम-हम
नहीं यहाँ है दीवारें,
आसमान को छू ही लेंगी
इसके गौरव की मीनारें।
कल का भारत जगमग होगा
कल का भारत सोने-सा,
सपना है गेंदे-गुलाब-सी
मन की माल पिरोने का।
उजला-उजला, सबसे उजला
देश हमारा सपना है,
चम-चम चंदा की चाँदी-सा
इसको उज्ज्वल रखना है!
देश हमारा सपना है,
सोना बरसाते सूरज-सा
इसको उज्ज्वल रखना है।
गली-गली में गूँजा करते
हैं मेहनत के गीत यहाँ,
खूशबू फैली अमन-चमन में
खुशबू का संगीत यहाँ।
हिल-मिल रहते हम-तुम, तुम-हम
नहीं यहाँ है दीवारें,
आसमान को छू ही लेंगी
इसके गौरव की मीनारें।
कल का भारत जगमग होगा
कल का भारत सोने-सा,
सपना है गेंदे-गुलाब-सी
मन की माल पिरोने का।
उजला-उजला, सबसे उजला
देश हमारा सपना है,
चम-चम चंदा की चाँदी-सा
इसको उज्ज्वल रखना है!
11.नन्हे तारों का संसार
झिलमिल-झिलमिल हँसता रहता
नन्हे तारों का संसार!चुपके-चुपके हमें बुलाते
कभी बादलों में छिप जाते,
कैसे हैं ये नन्हे मोती
कैसे ये हरदम मुसकाते?
रोज दिवाली आसमान में
तारों का है बंदनवार!
अंधकार हो चाहे जितना
नहीं कभी घबराते हैं ये,
रात-रात भर जाग-जागकर
सबको राह दिखाते हैं ये।
हँस-हँस सबको बाँ रहे हैं-
उजली किरणों का उपहार!
टिम-टिम कर ये क्या कहते हैं
मम्मी, मैं तो समझ न पाता,
आसमान की कक्षा में क्या
चंदा मामा इन्हें पढ़ाता?
नहीं कभी छुट्टी मिलती क्या-
कभी नहीं प्यारा इतवार?
12.फिर आया पानी का मौसम।
तेज फुहारों में इठलाएँ
जी भर भीगें, खूब नहाएँ,
पानी में फिर नाव चलाएँ-
आया शैतानी का मौसम!
ठंडी-ठंडी चली हवाएँ
छेड़ें किस्से, मधुर कथाएँ,
कानों में रस घोल रहा है-
कथा-कहानी का मौसम!
अंबर ने धरती को सींचा
हरी घास का बिछा गलीचा,
कुहू-कुहू के संग आ पहुँचा-
कोयल रानी का मौसम!
जामुन, आम, पपीते मीठे
खरबूजे लाया मिसरी से,
गरम पकौड़े, चाय-समोसे-
संग-संग गुड़धानी का मौसम!
छतरी लेकर सैर करें अब
मन में फिर से जोश भरें अब,
लहर-लहर लहरों से खेलें-
आया मनमानी का मौसम!
13.कहानी फूलों
सुनो कहानी फूलों की,
बात सुहानी फूलों की।
अब भी ताजादम लगती,
कथा पुरानी फूलों की।
हर डाली पर कविता है,
जानी-मानी फूलों की।
तितली यों इठलाई है,
ज्यों हो रानी फूलों की।
मन में मिसरी घोल रही,
मीठी बानी फूलों की।
वन-उपवन में लिखी हुई,
अमिट कहानी फूलों की।
फैल रही है गली-गली,
खुशबू दानी फूलों की।
जीवन महक गया जब से,
महिमा जानी फूलों की।
बात सुहानी फूलों की।
अब भी ताजादम लगती,
कथा पुरानी फूलों की।
हर डाली पर कविता है,
जानी-मानी फूलों की।
तितली यों इठलाई है,
ज्यों हो रानी फूलों की।
मन में मिसरी घोल रही,
मीठी बानी फूलों की।
वन-उपवन में लिखी हुई,
अमिट कहानी फूलों की।
फैल रही है गली-गली,
खुशबू दानी फूलों की।
जीवन महक गया जब से,
महिमा जानी फूलों की।
14.तितली
ओ री तितली, कहाँ चली तू,
कितनी अच्छी और भली तू!
खूब सँवरकर जब आती है,
रंगों का गाना गाती है।
फूल देखते रह जाते हैं,
खिल-खिल हँसते-मुसकाते हैं।
पंखों में उनकी खुशबू ले,
और हवाओं में बिखरा दे!
कितनी अच्छी और भली तू!
खूब सँवरकर जब आती है,
रंगों का गाना गाती है।
फूल देखते रह जाते हैं,
खिल-खिल हँसते-मुसकाते हैं।
पंखों में उनकी खुशबू ले,
और हवाओं में बिखरा दे!
15.आफत मेरी घड़ी है!
सुबह हो या शाम
हर वक्त हड़बड़ी है,आफत मेरी घड़ी है!
दीवार पर टँगी है
या मेज पर खड़ी है,
हाथों में बँध गई तो
सचमुच यह हथकड़ी है!
आफत मेरी घड़ी है!
सुबह-सुबह सबका
लिहाफ खींच लेती,
शालू पे गुस्सा आता
गर आँख मीच लेती।
कहना जरा न माने,
ऐसी ये सिरचढ़ी है!
आफत मेरी घड़ी है!
तैयार होकर जल्दी
स्कूल दौड़ जाओ,
शाम को घर आकर
थोड़ा सा सुस्ताओ।
फिर पढ़ने को बिठाती,
ये वक्त की छड़ी है!
आफत मेरी घड़ी है!
16.मेढक मामा
मेढक मामा
मेढक मामा,खेल रहे क्यों पानी में,
पड़ जाना
बीमार कहीं मत
वर्षा की मनमानी में।
मेढक मामा
मेढक मामा,
नभ में बादल छाए हैं,
इसीलिए क्या
टर्र-टर्र के
स्वागत-गीत सुनाए हैं।
मेढक मामा,
उछलो-कूदो
बड़े गजब की चाल है,
हँसते-हँसते
मछली जी का
हाल हुआ बेहाल है!
मेढक मामा,
सच बतलाओ,
कब तक बोंबे जाओगे,
बढ़िया
रेनी कोट सिलाओ,
फिर हीरो बन जाओगे!
17.यह कैसी दीवाली है,
इतना शोर-शराबा भाई
यह कैसी दीवाली है,लगता जैसे आफत आई
यह कैसी दीवाली है!
बजे पटाखे धायँ-धायँ-धाँ
या गोले हैं तोप के,
काँप रहीं घर की दीवारें
यह कैसी दीवाली है!
ठायँ-ठायँ-ठाँ, ठायँ-ठायँ-ठुस
जेसे दो फौजें लड़ती हैं,
ऐसे युद्ध ठना है भाई-
यह कैसी दीवाली है!
आसमान सब धुआँ-धुआँ-सा
धरती पर गंधक के भभके,
कानों के परदे फटते हैं-
यह कैसी दीवाली है!
पल भर चैन नहीं है भाई
नहीं कहीं अब दिल की बातें,
चारों ओर मची आँधी है,
यह कैसी दीवाली है!
नहीं अँधेरा धरती पर हो
काली रात नहीं रह पाए,
अगर चाहते तुम, तो सोचो-
यह कैसी दीवाली है!
18.कबूतर
गुटर-गुटर-गूँ बोल, कबूतर,
कानों में रस घोल, कबूतर।बैठा तू छत की मुँडेर पर
देख रहा क्या लचक-लचककर,
बोल जरा, मैं भी तो सुन लूँ
गीत तेरा अनमोल, कबूतर!
तूने सिखलाया है गाना
मुक्त हवा में उड़े जाना,
तुझसे हमने सीख लिया है
आजादी का मोल, कबूतर!
जा, उस डाली पर भी कहना
प्यारे भाई, मिल-जुल रहना,
मस्ती से गर्दन लहराकर-
पंख सजीले तोल, कबूतर!
19.हिमालय
अडिग हिमालय खड़ा हुआ है
आँधी हो या चाहे तूफान,
सुना रहा नीले अंबर को
भारत की महिमा का गान।
सुनो-सुनो यह बता रहा है
भारत का गौरव-इतिहास,
भारत जिसने दुनिया बदली-
दिया सभी को शुभ्र उजास।
इसकी गोदी में लहराती
गंगा की पावन जलधार,
सिखलाता है, बढ़ो-बढ़ो तुम
जाओ कभी न हिम्मत हार।
आओ, भारत की सुंदरता
के गाएँ हम मिलकर गान,
और देश पर रखें सदा ही
उच्च हिमालय-सा अभिमान!
आँधी हो या चाहे तूफान,
सुना रहा नीले अंबर को
भारत की महिमा का गान।
सुनो-सुनो यह बता रहा है
भारत का गौरव-इतिहास,
भारत जिसने दुनिया बदली-
दिया सभी को शुभ्र उजास।
इसकी गोदी में लहराती
गंगा की पावन जलधार,
सिखलाता है, बढ़ो-बढ़ो तुम
जाओ कभी न हिम्मत हार।
आओ, भारत की सुंदरता
के गाएँ हम मिलकर गान,
और देश पर रखें सदा ही
उच्च हिमालय-सा अभिमान!
20.प्यारी नानी
मेरी नानी, प्यारी नानी
रोज सुनाती नई कहानी।
किसी देश का था एक राजा
बड़ा शिकारी था वह पक्का,
रानी सुंदर थी, दर्पण में
दिखता काबुल, दिखता मक्का।
भोले-से एक राजकुँवर को
मिली कहीं एक सोनपरी थी,
बाल सुनहरे सोने-जैसे
संग फूलों की एक छड़ी थी।
राजकुँवर ने नदियाँ-जंगल
पार किया, फिरा हरा समंदर,
वहाँ हंस थे उजले-उजले
और ऊधमी था एक बंदर।
फिर आए बौने, बौनों की
एक कतार थी अपरंपार,
दुष्ट दैत्य जब निकला, सबने
मिलकर उस पर किया प्रहार!
बढ़ती जाती अजब कहानी
चढ़ती जाती अजब कहानी,
हर बाधा से, हर मुश्किल से
लड़ती जाती अजब कहानी।
ओर-छोर कुछ पता नहीं है
किन रस्तों पर बढ़ती जाती,
खत्म न होती कभी कहानी
पर नानी तो थकती जाती।
कथा सुनाते जाने क्यों फिर
खो जाती है प्यारी नानी,
कभी-कभी तो जैसे सचमुच
सो जाती है प्यारी नानी!
मैं कहता-‘नानी, ओ नानी,
कुछ आगे की कथा सुनाओ,
किस जंगल में राजकुँवर है
सोन परी का हाल बताओ!’
‘हूँ-हूँ’ कर उठती है नानी,
कहने लगती वही कहानी,
मेरी नानी, प्यारी नानी,
रोज सुनाती नई कहानी!
मेरी नानी, प्यारी नानी
रोज सुनाती नई कहानी।
किसी देश का था एक राजा
बड़ा शिकारी था वह पक्का,
रानी सुंदर थी, दर्पण में
दिखता काबुल, दिखता मक्का।
भोले-से एक राजकुँवर को
मिली कहीं एक सोनपरी थी,
बाल सुनहरे सोने-जैसे
संग फूलों की एक छड़ी थी।
राजकुँवर ने नदियाँ-जंगल
पार किया, फिरा हरा समंदर,
वहाँ हंस थे उजले-उजले
और ऊधमी था एक बंदर।
फिर आए बौने, बौनों की
एक कतार थी अपरंपार,
दुष्ट दैत्य जब निकला, सबने
मिलकर उस पर किया प्रहार!
बढ़ती जाती अजब कहानी
चढ़ती जाती अजब कहानी,
हर बाधा से, हर मुश्किल से
लड़ती जाती अजब कहानी।
ओर-छोर कुछ पता नहीं है
किन रस्तों पर बढ़ती जाती,
खत्म न होती कभी कहानी
पर नानी तो थकती जाती।
कथा सुनाते जाने क्यों फिर
खो जाती है प्यारी नानी,
कभी-कभी तो जैसे सचमुच
सो जाती है प्यारी नानी!
मैं कहता-‘नानी, ओ नानी,
कुछ आगे की कथा सुनाओ,
किस जंगल में राजकुँवर है
सोन परी का हाल बताओ!’
‘हूँ-हूँ’ कर उठती है नानी,
कहने लगती वही कहानी,
मेरी नानी, प्यारी नानी,
रोज सुनाती नई कहानी!
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